कसक में भी एक कशिश है...
मोहब्बत की ये कैसी तपिश है...
दिल छू लेने वाली यह तक़रीर है...
नज़रों ने नज़रों पे लिखी यह तहरीर है...
यह ग़ज़ल है ,दिली दास्ताँ है...
ख़ुद ही कारवां है, ख़ुद ही रास्ता है...
धड़कन से धड़कन तक ज़ज्बों की हमसफ़र...
अनछूए लबों की मासूम जुम्बिश है...
कसक में...
मदमाती मचलती यह कहकशां है...
यौवन भी तरसे वह maykashan है
हज़ार रंगों से सजा यह शीशमहल है
शबनमी अश्कों की मासूम पहल है...
कुंदन से निखर जायं दो दिल...
ज़शनी ज़ज्बों की वो जुनूनी आतिश है...
कसक में.....
दिली वादियों का शादाबी बज्म है...
रूमानी नगमों का रानाई नज़्म है...
यह पाक अक्स है अश्कों से सजा...
एक इल्हाम है और खुदाई रज़ा...
ग़मी-आशनाई के बोझिल पलों में...
हसीं ज़ज्बों की मखशूश बारिश है...
कसक में...
कसक में भी एक कशिश है...
मोहब्बत की ये कैसी तपिश है...
bahut der e main aapke blog par hoon aapki poems padh raha hoon , mere paas shabd nahi hai is poem ki tareef ke liye ..
ReplyDeletebahut hi acchi aur shaandar rachna .
badhai sweekar kare ..
vijay
pls read my poem "jheel " on my blog : www.poemsofvijay.blogspot.com
hi pranjali realy u write by ur heart corner.....if i write here some compliment that would b silly hox by ths touching poem....ths is a very nice and so cute no any can imagine except u......i am an mba student but i love poem....so i request u dnt stop ur hand to write the poem...bcz it is related to no of people .....so thanx again piyush.......
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