pranjali piyush
Wednesday, April 25, 2012
न फ़लक को गिला कोई न दरिया में कोई उफ़ान है ..!!
ऐ सुकूँ तेरे न होने का अब रात को न कोई मलाल है....!!
वो शय जिंदगी जो शफ्फाक पहलु में शराब ढा रही थी ..
हवासों को कब भनक थी धनक शीशे में रुसवाइयों के बाल हैं..!!
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