pranjali piyush
Sunday, November 28, 2010
तुम्हारी यादों को अपनी
चुन्नी का
सफ़ेद कफ़न ओढा रखा था...
आज फिर उसीको-
ओढ़नी बनाये
घूम रही हूँ..
बाजार से कुछ चीजें
खरीदनी बाकी रह गयी थीं...
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