नजर में झांक लूँ तो मौजूं तमाम शहर है..
ये मेरी चाहत का सहर है..
या तेरी तमन्नाओं का घर है..
इश्क की उम्र यूँ तो बस चार पहर है..
जाने तेरे अंदाज़ में क्या जादू है कि..
मेरे हर एहसास में तेरी शिद्दत का बसर है..
कायनात से भी उम्दा ये तेरा दर है..
इस ख्वाब के बिना अब कहाँ गुजर है..?