Sunday, October 17, 2010

रात बड़ी अँधेरी और खदशे तमाम है..
जिंदगी कि इस राह में
दुश्वारियां तो आम हैं..

उर्ज की राह तकते रहे..
जब भी आँखे खोली
तो पाया बस शाम है...

बेकरारी जुस्तजू तनहाइयों के रोग हैं
ये काँटों का सफ़र है..
जिंदगी तो बस नाम है..

ढूंढने से नर्म रेशे भी मिलेंगे नहीं..
दर्द सबसे बड़ा रिश्ता है..
मोहब्बत का ही हमनाम है..

आज इन्द्रधनुष कल तूफानों का दौर होगा..
कितनी परतें कई रंग समेटे है..
ये दुनिया बड़ी झाम है..

तुम खोजते हो उसको जमी की गर्त में...
और मै हरबार सोचती हूँ कि
तेरी धडकनों में राम है...