Friday, April 27, 2012

पाने को तेरी लम्स -ए-तन्हाई 
बेच दी हमने अपने होठों की रुबाई
कुर्बत बस रंग रौशनी ज़ाल हसीन 
जिंदगी है जबतक जिन्दा है जुदाई

बिजलियाँ तक़दीर की उफ्फ़ ज़ालिम
अश्क के जिम्मे अब हाथों की रुखाई 
गमजदा आँखें मौत खंज़र खारा पानी 
हसरते इनायत तेरे पाँव फटी बिवाई