Sunday, November 28, 2010

तुम्हारी यादों को अपनी
चुन्नी का
सफ़ेद कफ़न ओढा रखा था...
आज फिर उसीको-
ओढ़नी बनाये
घूम रही हूँ..
बाजार से कुछ चीजें
खरीदनी बाकी रह गयी थीं...

5 comments:

  1. बाजार से कुछ चीजें
    खरीदनी बाकी रह गयी थीं...

    bahut khoobsurat andaz ,
    naya nazariya..

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  2. उफ्फ़ -अति संवेदनशील

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  3. awesome!!!.. bahut badhia.. hope to read some more..

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