ये जरूरी तो नहीं कि जमीं और फ़लक मिले ही...
किसी ने अबतक क्षितिज को देखा है क्या करीब से...
यूँ सुना बहुत है कि चकोर देखता है चाँद को एकटक...
हमने तो एक कातिल नज़र भी पाई है बड़े नसीब से...
कलियों से हमने पूछा कि कैसा है एहसास-ऐ-यौवन...
आज फ़िर काँटों ने हमें घूर कर देखा बड़े अजीब से...
सर चढ़ जाय तो एक मर्ज है वरना है एक खुमारी...
मोहब्बत क्या शय है ज़रा पूछना किसी गरीब से.....
बेहतरीन पंक्तियाँ | बधाई |
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