Sunday, August 30, 2009

तेरे ज़ज्बात की खुशबू से कुछ ऐसे महक गयी हूँ मै
दरिया के सारे बंधन तोड़ किनारों से छलक गयी हूँ मै

घिसती जा रही हूँ हिना बनकर पाने को रंग शादाबी...
फ़िर से मूरत में ढल जाने को शिद्दत से तड़प गयी हूँ मै...

हर तूफ़ान है समेटा सीने में जो भी तेरी राह में आए...
उन्ही लहरों में बह जाने को तिनके सी मचल गयी हूँ मै...

ये कौन सा जहाँ है जहाँ खुशबूएं नही उतरा करतीं...
तेरे कुर्बत के ख्याल से ही पंछी बन चहक गयी हूँ मै...

आग से आब का होता है कुछ ऐसा ही अनोखा रिश्ता...
अब जाना क्यूँ बूंदों से बादल में बदल गयी हूँ मै....

10 comments:

  1. brilliant!
    i can not even imagine how far your imagination goes.You are very special.

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  2. sunder rachna ke saath blog jagat men swagat.

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  3. Pranjal ji mere do blog hain ek hindi ka aur ek marathi ka mai marathi ke blog se aapke blog par aaee to wahi darj hua par aap mere hindi blog par ja sakati hain abhi wahan mai yatra sansmaran de rahee hoo. Aapan e phir bhee mere bhee ki kawita ko saraha aapka dhanyawad. Wah blog mere bhee ka hai. mera hindi log hai
    ashaj45.blogspot.com
    aur marathi ka hai
    ashaj-oglekar.blogspot.com
    abhar aapka.

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  4. आग से आब का होता है कुछ ऐसा ही अनोखा रिश्ता...
    अब जाना क्यूँ बूंदों से बादल में बदल गयी हूँ मै....
    बहुत ही अच्छा लिखा है।

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  5. wah pranjal ji
    bahot accha laga
    hardik abhinandan

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  6. वाह वाह प्रांजल . क्या बात है. आपकी कविताये पढ़कर तो मै भूल गया की मै भी कविता लिखता हूँ आपकी कविताये तो कबीले तारीफ है. आपकी प्रोफाइल देखकर आपकी उम्र तो बहुत कम लगाती है. इस कम उम्र मै इतनी बेहतरीन कविताये. दरअसल मेरी बेटी का नाम भी प्रांजल ही है.

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  7. बहुत ही सुन्दर अहसासों से भरी रचना.
    Bahut Barhia... Aapka Swagat hai...isi tarah likhte rahiye


    Ek nazar idhar bhi:

    http://sanjay.bhaskar.blogspot.com

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  8. बहुत सुंदर | क्या कशिश है इस ग़ज़ल में | वाह -वाह ........ माशाअल्लाह

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