Tuesday, September 8, 2009

दिल को कोई बात कहनी हो उनसे और अल्फाज़ साथ दें....
हर्फ़ उकरे तो
सही,मायने भी हों पर कैफियत को आवाज दें...
रात कुछ यूँ ढले कि पलकें आंसुओं से बोझिल ही रह जायं.....
क्या करें हम जब वो दिल में बसे हों पर साँसों को राज दें...

2 comments:

  1. pranjal ji
    jitni aasani se aap itni gehri baten keh jaati hai...bemisaal!

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  2. दुआ करता हु उपरवाले से
    पलके आसुओ से कभी बोझील ना हो.
    और दिल कि आवाज जुबा पे आये.

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