Sunday, August 16, 2009


मै जिन्दा रहूँ ये मेरा हक है...
लेकिन ये बात बस जिन्दा रहने तक है ...

चाँद पर मंडरा रहा है खतरा ...
आजकल चकोर उसे देख रहा एकटक है....

हवा जरा जोर क्या चली...
उथल-पुथल सांसों से सीना मेरा लक-दक है...

parchaiyan बढ़ रही हैं इस कदर...
सूरज की काबिलियत पर मुझे शक है...


1 comment:

  1. i can not appreciate this...i'll run short of adjectives.

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