Monday, November 28, 2011

रात की रानी के सुगंध सी
जिंदगी..
थोड़ी हलचल थोड़ी मंद सी 

पलकों क पीछे के संसार सी 
जिंदगी
अलमस्त भोर के बहार सी 

निर्झर कलकल सुर नाद सी 
जिंदगी
मुश्किल लम्हों के बाद सी 

परछाइयों से उठते आवाज़ सी 
जिंदगी 
नर्म पंख के पहली परवाज़ सी

गुनगुनाती चुप्पियों के राज सी
जिंदगी 
जिजीविषा के अद्भुत साज़ सी 




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