Thursday, July 15, 2010

बहुत लिखे हैं बेवफाई के नज्मे , कोई मोहब्बत की बेजारी का भी तो सबब पूछो...
शायरों अब खंजर में वो बात नहीं रही, दीवानों से कातिल नश्तर की चुभन पूछो...

1 comment:

  1. एहसास जब कांटे बन जाएँ
    और ख्यालों से भी चुभन होने लगे..
    ऐ रब!
    कोई तो राह होगी जो बंजर में भी प्यार के बीज बो दे..
    तुम बस हिम्मत दे देना..
    मै सींच लूंगी आँखों के कतरे से भी अपना जन्नत!!!!

    kya kehoon.....umda!

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